सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

अधुरा ख्वाब....!!

 
 
अभी कल रात ही तो मिले थे तुमसे, कुछ नए रिश्तों की आगाज़ भी हुई. |
 
तन्हाई की इस शाम में, कुछ बाहार चाँद की हुई. | 
 
कितना कुछ कहते, कितना कुछ सुनते, मगर नजाने यह सुबह फिर कहाँ से हुई. ||

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

कमबख्त ये अरमान...!!!

 
कुछ कहे - कुछ अनकहे, हालात से जूझते ये अरमान...
कभी पलकों में सिमटे, मुस्कानों में लिपटे, हर वक़्त कुछ टूटते ये अरमान...
दरीचों में, बगीचों में, शाम-ओ-सुबह में, एक परछाई को दुढ़ते ये अरमान...
मदमस्त हवाओं के इन झोको में, कुछ उलझी जुल्फों को सुलझाने के अरमान...
 
तमन्नाओं का जाल... कमबख्त ये अरमान...!!!

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

दीवाने! हम कैसे बन गए...!!!

तेरे सरगोशी में बैठे जमाने बीत गए...!
कितने बाहाने युही फसाने बन गए...!!
कभी मिलो, पास बैठो... तो समझो,
की तेरी चाह में दीवाने, हम कैसे बन गए...!!!



this is not over yet... but will take lot of time to complete... :(

बुधवार, 6 जुलाई 2011

खुदा ना बन

जो जैसा है, उसको वैसा रहने दे...
जज्बातों को थाम, उनको ना बेहने दे...
 
तू खुद ना जाने कब काफिर बन बैठा है,
बंदगी का सबक बहोत हुआ, अब जाने दे...

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

हम क्या कर रहे है?

हम क्या कर रहे है?

कांग्रेस रात को लाठी बरसा रही है,
सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है,
अन्ना और बाबा, अनशन कर रहे है,
मनमोहन कुछ नहीं कह रहे है,
सोनिया, राहुल को सूत्रधार बना रही है,
कालाबाजारी, inflation ला रही है, 
RBI CRR और REPO रेट बढ़ा रही है,
करोड़ों का अनाज गोदाम में सड़ रहा है,  
किसान sucide कर रहे है,

पर हम क्या कर रहे है? 

corporate cost cut कर रही है, 
कोई जनता की बजा रहा है,
तो कोई coke studio पे गाने गा रहा है,
groups में rape हो रहे है,
सेना में भी चोर भर रहे है,
Cricketer LARGE बना रहे है,
Media में हर news break हो रही है,
अमिताभ अबभी फिल्म मे काम कर रहें है, 
और आमिर DK Bose फिल्मा रहे है,


पर हम क्या कर रहे है?
 
 

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

छोटा सा शेर ... बडे जज्बात....



जब तेरी काली घटाओं सी जुल्फ में कुछ चांदनी की झलक होगी,
तेरी चमकती इन आँखों में शाम सी रौशनी होगी,
इन गुलाब से कोमल होठों पे - गालों पे रेत सी लकीरें होंगी,
तू खुद को मेरी नज़र से देखना हमसफ़र, दिल में वही रवानगी होगी!!

Cheers Vins :)

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

NO TO CORRUPTION : We Want FREEDOM

Disclaimer : The below written lines no way intent to distort or make fun of our national pride - Our Anthem. Being a curious brain, am just trying to compare Shri Ravindra Nath Tagore vision of Bharat in 1911 with my personal understanding of today's Bharat struggling with Corruption....


हे जन, गण, मन के नायक...
नेता - तुम कितने दुःख दायक...

पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा...
दीमक जैसे तुमने चाटा...


विंध्य, हिमांचल, यमुना, गंगा...
तिरसठ साल, देश फिर भी नंगा ...


तुमने जाती, धर्म, प्रदेश पे हमको बाटा...
और खुद ही गाते अपनी जय-गाथा ...


जन-जन धन से मंगल तुम्हारी...
कैसे देखोगे पीड़ा हमारी...?


हे भारत के भाग्य विधाता...
करुणा सुनो हमारी हे! दाता...


कुछ तो ऐसा करो उपाय...
नेता देखे सर्व-जन-हीताय...
_____________________________________

 
NO TO CORRUPTION : We Want FREEDOM
 
Vinish

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

इस दिल को कभी छु जाओ...!!!

वैसे तो सच्चे प्यार करने वालों को किसी valentine day कि जरुरत नहीं होती, फिर भी मै आज के दिन का मान रखते हुए, एक छोटी सी रचना प्रस्तुत करना चाहूँगा...


इस दिल को कभी छु जाओ
कभी हाथों को मेरे सिर पे सहलाओ...

पाँव को मेरे पाँव पे रख
छोटी सी एक मिच्ची देजाओ...

धीरे से - चुपके से बाँहों में भर
कानो में कोई शरारत सुनाओ...

जमाने के गम से जब हम लढ़ रहे हों
तुम छोटी सी एक मुस्कान ले आओ...

थक के भी जब नींद ना आये
तुम धीरे से पलकों को चूम जाओ...

इस दिल को कभी छु जाओ...!!!

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

पता नहीं!!


इन् पंक्तियों में मैने उस इंसान कि व्यथा दर्शाने का प्रयत्न किया है, जिसने पैसे और स्पर्धा कि कश्मकश में सच्ची खुशियों कि बलि चढा दी और उम्र के आखरी पड़ाव पे वो अकेला बैठा सोच रहा है...

पचपन पतझड़ काट चुके हैं, सावन का पता नहीं!!

जिंदगी के इस मोड़ पर, क्या खोया क्या पाया? पता नहीं!!

जिन निगाहों पे हम मरते... वो कब बंद हुयी? पता नहीं!!

पैसे जोड़े तिल तिल कर, रिश्ते कब तोडे? पता नहीं!!

जिनके लिए दिन-रात लडे... वो बच्चे कहाँ है? पता नहीं!!

सपने वो सारे, सोचा सच होंगे... वो कहाँ सो गये? पता नहीं!!

मेहनत को वो हर एक दिन... मुस्कुराना भूले क्यों? पता नहीं!!

उन हसीं लम्हों को जी सकते थे... उन्हें मारा क्यों? पता नहीं!!

जीवन कि जद्दोजेहेद में, कब जीना छुटा? पता नहीं!!

मित्रों से विनंती है कि व्यर्थ के प्रलोभन को त्याग कर वो करिये जिससे आपको वाकई में सुख मिलता है....!
एक प्रयास, Vins :)

सोमवार, 31 जनवरी 2011

खुश है हम...!







खुश है हम...!


तेरा साथ, कभी थोडा, कभी ज्यादा...


तुमसे बात, कभी अधूरी, कभी पूरी...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तुमको देखना, कभी छुपके, कभी भर'के...


तुझे छु'ना, कभी युहीं, कभी कहीं...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तेरे सितम, कभी जाने, कभी अनजाने...


उफ़... तुमसे प्यार, कभी तकरार, कभी इकरार...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तेरी कशिश, कहीं ज्यादा और ज्यादा...


तेरा अरमान, दिल में, आँखों में, बाँहों में...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!