रविवार, 13 फ़रवरी 2011

इस दिल को कभी छु जाओ...!!!

वैसे तो सच्चे प्यार करने वालों को किसी valentine day कि जरुरत नहीं होती, फिर भी मै आज के दिन का मान रखते हुए, एक छोटी सी रचना प्रस्तुत करना चाहूँगा...


इस दिल को कभी छु जाओ
कभी हाथों को मेरे सिर पे सहलाओ...

पाँव को मेरे पाँव पे रख
छोटी सी एक मिच्ची देजाओ...

धीरे से - चुपके से बाँहों में भर
कानो में कोई शरारत सुनाओ...

जमाने के गम से जब हम लढ़ रहे हों
तुम छोटी सी एक मुस्कान ले आओ...

थक के भी जब नींद ना आये
तुम धीरे से पलकों को चूम जाओ...

इस दिल को कभी छु जाओ...!!!

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

पता नहीं!!


इन् पंक्तियों में मैने उस इंसान कि व्यथा दर्शाने का प्रयत्न किया है, जिसने पैसे और स्पर्धा कि कश्मकश में सच्ची खुशियों कि बलि चढा दी और उम्र के आखरी पड़ाव पे वो अकेला बैठा सोच रहा है...

पचपन पतझड़ काट चुके हैं, सावन का पता नहीं!!

जिंदगी के इस मोड़ पर, क्या खोया क्या पाया? पता नहीं!!

जिन निगाहों पे हम मरते... वो कब बंद हुयी? पता नहीं!!

पैसे जोड़े तिल तिल कर, रिश्ते कब तोडे? पता नहीं!!

जिनके लिए दिन-रात लडे... वो बच्चे कहाँ है? पता नहीं!!

सपने वो सारे, सोचा सच होंगे... वो कहाँ सो गये? पता नहीं!!

मेहनत को वो हर एक दिन... मुस्कुराना भूले क्यों? पता नहीं!!

उन हसीं लम्हों को जी सकते थे... उन्हें मारा क्यों? पता नहीं!!

जीवन कि जद्दोजेहेद में, कब जीना छुटा? पता नहीं!!

मित्रों से विनंती है कि व्यर्थ के प्रलोभन को त्याग कर वो करिये जिससे आपको वाकई में सुख मिलता है....!
एक प्रयास, Vins :)