रख हौसला के वो मंज़र भी आएगा…
प्यासे के पास चल के कभी तो दरिया आएगा...
थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर...
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा...
प्यासे के पास चल के कभी तो दरिया आएगा...
थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर...
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा...