शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

एक तुम बस ऐसी सी...

भोर की किरणों सी...
सुबह की अँगड़ाई सी...
चंदा की चांदनी सी...
पायल की झंकार सी...
नन्हों की हंसी सी...
एक तुम (२) बस ऐसी सी... 


फूलों में गुलाब सी...
धुप में छाव सी...
मौझो में रवानी सी...
मस्ती में शराब सी...
काम में योवन सी...
एक तुम (२) बस ऐसी सी... 

रंगों में सतरंगी सी...
मंदिर में पूजाओं सी...
दरगाह में दुआओं सी...
गीतों में संगीत सी...
कविता में कल्पना सी...
एक तुम (२) बस ऐसी सी... 

Vins :)

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

आज फिर दिल सतरह का होना चाहे!

स्याही से दिल बना, चिठियों में हाले-ऐ-ज़िगर बयाँ करना चाहे...
तेरी नशेमन आँखों में खो, जुल्फों में उलझना चाहे...

आज फिर दिल सतरह का होना चाहे!

एक गुलाब किताब में रख उसे हर वक़्त पड़ना चाहे...
तेरी मेहँदी देख, उसमे अपना अक्स ढूँढना चाहे...

आज फिर दिल सतरह का होना चाहे!

सबसे छुपा तेरा नाम अपने हाथों पे लिखना चाहे...
और कभी देर तलक तेरी तस्वीर निहारना चाहे...

आज फिर दिल सतरह का होना चाहे!

दोस्तों में तेरी बातें सुन, खुद पे इतराना चाहे...
और कभी महफ़िल में तेरी याद छुजाये, तो अपने को अकेला पाये...

आज फिर दिल सतरह......................

Vins :)

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

तेरे सिवा....

तेरे सिवा....


रात काली श्याही सी है...
और दिन में कुछ दिखता नहीं...तेरे सिवा...!


सपने कुछ धूमिल से है...
और खुली पलकें कुछ नम सी हैं... तेरे सिवा...!


हकीकत कुछ नाराज़ सी है...
और अरमानों को कुछ सूजता नहीं... तेरे सिवा...!


दिल में दर्द कम नहीं है...
और इसकी कोई दवा नहीं है... तेरे सिवा...!


तू मेरी हो न सकी है...
और मै किसीका 'ना' होना चाहूँ ... तेरे सिवा...!

Vins :)

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

सुबह सवेरे

आज सुबह तकिये में कुछ नमी सी थी,
शायद कल रात इन आँखों में कुछ बेचैनी सी थी...

थोडा महसूस किया, तो दिल में एक खालीपन सा लगा,
शायद कुछ था जो कही छुट गया था...

बिस्तर से कदम कुछ लडखडाये खडे हुए,
शायद तेरी यादों से मिल कर लौटे थे...

चादर में सिलवटें भी कुछ ज्यादा सी थी,
शायद कल रात वो भी मुझसे कुछ नाराज़ सी थी...

सपने भी कोई याद नहीं मुझको,
शायद वो भी खफा हो तेरे पहलु में बैठें हो...!

Vins :)