तुम कुछ यूं रही चार दिन जिंदगी में...
चार दिनों का खुमार रहा ता उम्र जिंदगी में...
इश्क ही था जो दूर बैठी हो ...
'मेहर' ग़र लड़ गये होते, तो बाहों में होती ...
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