रख हौसला के वो मंज़र भी आएगा…
प्यासे के पास चल के कभी तो दरिया आएगा...
थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर...
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा...
प्यासे के पास चल के कभी तो दरिया आएगा...
थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर...
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा...
ओ महाराज क्या हाल हैं आपके, बड़े दिनों के बाद दर्शन दिए आशा करता हूँ आप सही होंगे!
जवाब देंहटाएंआपने जो ये छंद लिखा है, क्या कहूं इसके बारे में, दिल खुश हो गया पढ़ कर!
मिलने का मज़ा थोड़ी सी बेवफाई और थोड़ी सी जुदाई के बाद ही आता है!
आफरीन!
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जवाब देंहटाएंदरिया आए न आए… हम आपके यहां चले आए :)
अच्छा लिखा है
मंगलकामनाएं !
वाह जनाब....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
रख हौसला के वो मंज़र भी आएगा…
जवाब देंहटाएंप्यासे के पास चल के कभी तो दरिया आएगा...
sunder bhav
rachana