सोमवार, 31 जनवरी 2011

खुश है हम...!







खुश है हम...!


तेरा साथ, कभी थोडा, कभी ज्यादा...


तुमसे बात, कभी अधूरी, कभी पूरी...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तुमको देखना, कभी छुपके, कभी भर'के...


तुझे छु'ना, कभी युहीं, कभी कहीं...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तेरे सितम, कभी जाने, कभी अनजाने...


उफ़... तुमसे प्यार, कभी तकरार, कभी इकरार...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!






खुश है हम...!


तेरी कशिश, कहीं ज्यादा और ज्यादा...


तेरा अरमान, दिल में, आँखों में, बाँहों में...


तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!

16 टिप्‍पणियां:

  1. अरे मालिक,

    कहाँ हैं, कहाँ हैं, आपके चरण, कमाल कर दिया, वो एक कहावत हैं न, देर आये दुरुस्त आये!

    चरितार्थ कर दिया आपने इस कहावत को, शुक्रिया मेरी प्रार्थना को मान देने के लिए!

    खुश हैं हम,

    आपने मेरे कहने पे लिखा, कुछ और हमने आपसे सीखा,

    एक नयी सी ताजगी लिए, एक और चमकता तारा दीखा,

    अगली बार भी गर देर करोगे, इंतज़ार करेंगे हम,

    खुश हैं हम, खुश हैं हम!

    आफरीन!

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  2. "तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!!! " ... very touchy ....

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  3. तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...!

    वाह...बेजोड़ रचना है आपकी...
    नीरज

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  4. kya!...hua kya hai tumko...ye shayari ka shauque kahan se aa gaya...kuch pee to nahin liya... ache khaase shayar ho gaye ho....

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  5. हर हाल मे खुश रहना तो अच्छी बात है बधाई।

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  6. तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम, क्या बात है !

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  7. तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम.!

    वाह.बेजोड़ रचना है आपकी.

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  8. भावपूर्ण सुन्दर रचना...वाह...

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  9. Tarif karoon kya aapki...main toe iss kail nahi...gr8 thought...keep going :)

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  10. खुश है हम...!
    तेरी कशिश, कहीं ज्यादा और ज्यादा...
    तेरा अरमान, दिल में, आँखों में, बाँहों में...
    तेरे ना मिलने का गम पर खुश है हम...

    कविता भावपूर्ण है लेकिन सकारात्मक सोच के साथ लिखी गयी ...आपका आभार

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