वैसे तो सच्चे प्यार करने वालों को किसी valentine day कि जरुरत नहीं होती, फिर भी मै आज के दिन का मान रखते हुए, एक छोटी सी रचना प्रस्तुत करना चाहूँगा...
इस दिल को कभी छु जाओ
कभी हाथों को मेरे सिर पे सहलाओ...
पाँव को मेरे पाँव पे रख
छोटी सी एक मिच्ची देजाओ...
धीरे से - चुपके से बाँहों में भर
कानो में कोई शरारत सुनाओ...
जमाने के गम से जब हम लढ़ रहे हों
तुम छोटी सी एक मुस्कान ले आओ...
थक के भी जब नींद ना आये
तुम धीरे से पलकों को चूम जाओ...
इस दिल को कभी छु जाओ...!!!
इस दिल को कभी छु जाओ
कभी हाथों को मेरे सिर पे सहलाओ...
पाँव को मेरे पाँव पे रख
छोटी सी एक मिच्ची देजाओ...
धीरे से - चुपके से बाँहों में भर
कानो में कोई शरारत सुनाओ...
जमाने के गम से जब हम लढ़ रहे हों
तुम छोटी सी एक मुस्कान ले आओ...
थक के भी जब नींद ना आये
तुम धीरे से पलकों को चूम जाओ...
इस दिल को कभी छु जाओ...!!!
विन्स भाई,
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस के मौके पे जो आपने मिच्ची दी है उसकी शरारत आपके भावों में दिखाई दे रही है!
मैं तो ये कहूँगा की बहुत ही खूब रचना लिखी है आपने!
काश जल्दी से आपको पलकें चूमी जाएँ!
दिलनशीं!
इस दिल को कभी छु जाओ!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया!
Nice looking blog:)
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएं========================
निखरती रहे वह सतत काव्य-धारा।
जिसे आपने कागजों पर उतारा॥
========================
होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी