शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

तेरा दीदार!!!

इन सडकों से कोई अभी गुजरा है... यहाँ  का मौसम कुछ बदला सा है...

इन पत्तो में हरियाली भी कुछ ज्यादा सी है... क्या तुमने इन्हें छुआ है...?

इन झोकों में एक भीनी सी खुसबू है... हवाओं को भी तेरा सहारा है...

लोग भी कुछ बेगाने-दीवाने से लग रहें है... ज़रूर इन्हें तेरा दीदार हुआ है...

वक़्त-ऐ-फुरक़त की सिर्फ हमें क्यों सजा है... दीदार-ऐ-यार को सिर्फ हम ही तरसते रह गए...

4 टिप्‍पणियां:

  1. वक़्त-ऐ-फुरक़त की सिर्फ हमें क्यों सजा है !!

    :-) cha gaye janab <3

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  2. लोग भी कुछ बेगाने-दीवाने से लग रहें है

    khoobsurati ki paraakaashthaa ko chhoone ka jo kaam aapne kiya hai wo kaabil-e-tareef hai!

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