कभी जिंदगी बीता दी और कभी एक नज़र काफी थी...
तुम हो तो हर सुबह कुछ नयी सी है...
वरना कोन सी हसरते बाकी थी...
जाने अनजाने में यूहीं, ठेस पहुंचाई होगी,
वर्ना तुमको भी खफा करने की कहाँ मजाल बाकी थी...
ऐ खुदा अब ना लेना, तू मेरे गुनाहों का हिसाब,
रोज़ अदालत में खड़े होते हैं, अब क्या तेरी सज़ा भी बाकी थी...
दोस्त तेरे साथ का... इस जिंदगी का... "शुक्रिया"...!
"शुक्रिया" उस हर पल का जिसकी आरज़ू ही काफी थी...
Vins :)
baaki tareefein to bahut kee hongi humne....
जवाब देंहटाएंaapki rachna pe khoobsurati ki misaal dena baaki thi..
aafareen!
dhanyawaad!
जवाब देंहटाएंthis one dedicated to biwi.. :)
Itna dard abhi tak kahan chhupa ke rakkhe the???
जवाब देंहटाएंvinish,
जवाब देंहटाएंaise likhoge tho biwi khoon bhi maaf kar de :)
aafareen!
"शुक्रिया" उस हर पल का जिसकी आरज़ू ही काफी थी...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन :-)
ye shayari ka shauq kab se jag gay boss... good job...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज