सोमवार, 11 मार्च 2024

कितने भी मसरूफ हों

हम कितने भी मसरूफ हों,

तुम्हारी ख़बर लग ही जाती है...


दिल बेचैन है तुम्हारा,

ये बात हम तलक पहुँच ही जाती है...


खुश रहा करो की मंजिले और भी हैं,

पता नहीं ये बात कैसे समझाई जाती है...


जब मुस्कराती हो तो देखो कितने चेहरे खिलते हैं,

और दिल को एक तसल्ली भी हो जाती है...


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